विविधा जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन्हा तेसी… July 1, 2014 by आलोक कुमार | 2 Comments on जाकि रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन्हा तेसी… -आलोक कुमार- हाल के दिनों में स्वरूपानन्द जी जैसे आडंबरी धर्माचार्य जैसे बेतुके और द्वेषपूर्ण बयान दे रहे हैं उसे देख कर लगता है कि “फतवे” जारी करने की एक नई परम्परा की शुरुआत हो रही है! आस्था और श्रद्धा तो हमारी संस्कृति और धर्म के मूल में है। हमारे यहां तो कण-कण में भगवान […] Read more » शंकराचार्य स्वरूपानंद स्वरूपानंद का बयान