कविता रावण के मन की बात October 18, 2018 / October 18, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझे यू ना जला पाओगे तुम मुझे यू ना भुला पाओगे तुम मुझे हर साल जलाओगे मार कर भी तुम न मार पाओगे जली लंका मेरी,जला मैं भी तुम भी एक दिन जला दिए जाओगे मैंने सीता हरी,हरि के लिये राक्षस कुल की बेहतरी के लिये मैंने प्रभु को रुलाया बन बन में तुम […] Read more » राक्षसों राम रावण के मन की बात सीता हरी हरि