आलोचना जिन्हें नाज़ था हिंद (दी) पे वो कहाँ हैं? November 8, 2011 / December 5, 2011 by जगमोहन फुटेला | 2 Comments on जिन्हें नाज़ था हिंद (दी) पे वो कहाँ हैं? जगमोहन फुटेला हिंदी का सबसे ज्यादा नुक्सान हिंदी ‘जानने’ वालों ने ही किया है. खासकर उन ‘जानकारों’ ने जिन्हें ये करने के लिए चैनलों का आश्रय प्राप्त है. देखते देखते हिंदी हिंगलिश हुई और अब वो वह भी नहीं रह गई है. एक समय था जब बोलियों में इस्तेमाल होती थी. अब वो बोलियों में […] Read more » proud of hindi हिंदी पे नाज़