दोहे
हिंदी सबको जोड़ती
by हिमकर श्याम
आज़ादी बेशक़ मिली, मन से रहे गुलाम। राष्ट्रभाषा पिछड़ गयी, मिला न उचित मुक़ाम।। सरकारें चलती रहीं, मैकाले की चाल। हिंदी अपने देश में, उपेक्षित बदहाल।। निज भाषा को छोड़कर, परभाषा में काज। शिक्षा, शासन हर जगह, अंग्रेजी का राज।। मीरा, कबीर, जायसी, तुलसी, सुर, रसखान। भक्तिकाल ने बढ़ाया, हिंदी का […]
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