गजल अब किसी बात का भी अंदाज़ नहीं होता December 22, 2013 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment अब किसी बात का भी अंदाज़ नहीं होता हर वक़्त एक सा तो मिज़ाज नहीं होता। हैरान होता है दरिया यह देख कर बहुत क्यूँ आसमां ज़मीं से नाराज़ नहीं होता। खिड़की खोल दी,उन की तरफ़ की मैंने अब परदे वालों का लिहाज़ नहीं होता। गुज़रा हुआ हादसा फिर से याद आ गया अब काँटा […] Read more » अब किसी बात का भी अंदाज़ नहीं होता