गजल व्यंग्य अब तो आंखें खोल May 31, 2014 / May 31, 2014 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on अब तो आंखें खोल -पंडित सुरेश नीरव- अमल से सिद्ध हुए हैवान जमूरे अब तो आंखें खोल। न जाने किसकी है संतान जमूरे अब तो आंखें खोल।। मिला है ठलुओं को सम्मान जमूरे अब तो आंखें खोल। हुआ है प्रतिभा का अपमान जमूरे अब तो आंखें खोल।। पराई थाली में पकवान जमूरे अब तो आंखें खोल। हमारे हिस्से में […] Read more » अब तो आंखें खोल गजल व्यंग्य