राजनीति ‘अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता’ February 9, 2014 by आलोक कुमार | 1 Comment on ‘अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता’ -आलोक कुमार- संविधान पर आस्था, लोकतंत्र पर विश्वास, संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान और न्याय व्यवस्था पर भरोसा जैसे शब्द अभी भी हमारे देश में काफी मायने रखते हैं। इनका उपहास उड़ाकर ‘हासिल’ करने की प्रवृत्ति से प्रेरित राजनीति से तात्कालिक रूप से ‘सुर्खियां’ तो बटोरीं जा सकती हैं लेकिन किसी दूरगामी लक्ष्य की प्राप्ति कदापि […] Read more » Problems with indian politics अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता