कविता एक नई मुलाकात October 5, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment मैं जब भी फरोलता हूँ अलमारी में रखे अपने जरूरी कागजात तो सामने आ ही जाती है एक चिट्ठी जो भेजी थी वर्षों पहले मेरे दिल के महरम ने भले ही उससे मुलाकात हुए हो गए वर्षों पर चिट्ठी करा देती है अहसास एक नई मुलाकात का -विनोद सिल्ला Read more » अलमारी एक नई मुलाकात चिट्ठी दिल
कविता कलम बीनती दो लड़कियाँ May 10, 2018 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment कुलदीप विद्यार्थी आज सुबह होस्टल की खिड़की से देखा कलम बीनते हुई दो लड़कियाँ मैले वस्त्र, दोनों के सिर पर दो चोटियां नाक छिदा हुआ मटमैला सवाल चेहरा जान पड़ता था कि मुँह तक नहीं धुला हैं तुलसी को जल चढ़ाते हुए निगाह उन पर टिकी अमूमन इस ओर नहीं आता कोई अच्चम्बे से उनको […] Read more » अलमारी कलम खिड़की विश्वविद्यालय