राजनीति असात्विक शक्तियों की चालबाजियां – जयप्रकाश सिंह November 15, 2010 / December 19, 2011 by जयप्रकाश सिंह | 4 Comments on असात्विक शक्तियों की चालबाजियां – जयप्रकाश सिंह गीता का प्रथम श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे ‘ भारतीय मनीषा को उत्कृष्टतम अभिव्यक्ति देने वाले ग्रंथ की शुरुआत मात्र नहीं है , यह व्यवस्था की एक एक विशेष स्थिति की तरफ संकेत भी करता है। एक ऐसी जब सत्य और असत्य के बीच आमना-सामना अवश्यम्भावी बन जाता है। इस स्थिति में पूरी व्यवस्था व्यापक बदलाव के […] Read more » असात्विक शक्तियों की चालबाजियां