कविता अस्मिता February 15, 2016 by शकुन्तला बहादुर | 6 Comments on अस्मिता अप्रिय सदा अभिमान मुझे,पर प्राणों से भी प्रिय स्वाभिमान। मुझे मिले सम्मान नहीं,पर रक्षित रहे आत्मसम्मान ।। * मिथ्या-गौरव नहीं चाहिये, मुझे हो जीने का अधिकार । चाहे मुझे मिले न आदर, क्यों दे कोई तिरस्कार।। * चाहे सुयश कभी न पाऊँ, अपयश रहे सदा ही दूर। नहीं प्रशंसा की इच्छा,पर निन्दा मन को करे […] Read more » अस्मिता