कविता गीत ; आई नदी घर्रात जाये – प्रभुदयाल श्रीवास्तव April 29, 2012 / April 30, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव आई नदी घर्रात जाये मझधारे में हाथी डुब्बन कूलों कूलों पुक्खन पुक्खन कीट जमा सीढ़ी पर ऐसा जैसे हो मटमैला मक्खन डूबे घाट घटोई बाबा मन मंदिर के भीतर धावा हुई क्रोध में पानी पानी उगले धुँआं सा लावा उसनींदी बर्रात जाये आई नदी घर्रात जाये| बजरे और शिकारे खोये चप्पू पाल डांड़ […] Read more » geet आई नदी घर्रात जाये गीत गीत