व्यंग्य साहित्य “आलसस्य परम सुखम “ March 10, 2016 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on “आलसस्य परम सुखम “ प्राचीन काल से ही आलस को सामाजिक और व्यक्तिगत बुराई माना जाता रहा हैं. “जो सोवत हैं, वो खोवत हैं” जैसी कहावतो के माध्यम से आलसी लोगो को धमकाने और “अलसस्य कुतो विद्या” जैसे श्लोको के ज़रिये उनको सामाजिक रूप से ज़लील करने /ताने कसने के प्रयास अनंतकाल से जारी हैं. लेकिन फिर भी आज […] Read more » आलसस्य परम सुखम