कविता इक दिवाली ये भी है November 12, 2012 / November 12, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment बिजलियों से जगमगाई, इक दिवाली ये भी है रोशनी घर तक न आई, इक दिवाली ये भी है दीप अब दिखते हैं कम ही, मर रही कारीगरी मँहगी है दियासलाई, इक दिवाली ये भी है थी भले कम रोशनी पर, दिल बहुत रौशन तभी रीत उल्टी क्यों बनाई, इक दिवाली ये भी है […] Read more » इक दिवाली ये भी है