कविता इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए October 31, 2018 by अभिलेख यादव | Leave a Comment इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए जिनसे रौशन है हुश्न, उन्हीं को बर्बाद कीजिए गर पूरी होती हो यूँ ही आपके ख़्वाबों की ताबीरें तो खुद को बुलबुल और मुझे सैय्याद कीजिए ये कि क्या हुज़्ज़त है आपके नूर-ए-नज़र होने की दिल की बस्तियाँ लुट जाएँ,और फिर हमें याद कीजिए जो थे सितमगर,सबको […] Read more » इस रस्म की शुरुआत बस मेरे बाद कीजिए