कविता मैं उजला ललित उजाला हूँ! May 23, 2011 / December 12, 2011 by ललित कुमार कुचालिया | Leave a Comment मैं उजला ललित उजाला हूँ! मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है! तेरे मन के तम से लड़ता हूँ तेरी राहें उजागर करता हूँ आओ मुझे बाहों में भर लो! मुझ सा कोई प्यार नहीं है मैं हूँ तो फिर अंधकार नहीं है! तेरे रोम-रोम में भर जाता हूँ तेरे दर्द को […] Read more » Lalit उजला उजाला ललित