व्यंग्य हादसों के उत्सव July 12, 2011 / December 9, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव कौन चाहता है कि वो कभी-कभी हादसे की चपेट में आए। मगर हादसे भी आदमी के मन की परवाह कब करते हैं। उनका जब मन होता है,जहां मन होता है,जिस पदार्थ,वस्तु या शख्स पर मन होता है उसे अपनी चपेट में लेकर उसे अनुग्रहीत कर देते हैं। वैसे भी हादसों के लिए […] Read more » Accidents उत्सव हादसों
वर्त-त्यौहार सामाजिक बदलाव के माध्यम बन सकते हैं हमारे उत्सव October 19, 2010 / December 20, 2011 by प्रो. बृजकिशोर कुठियाला | 1 Comment on सामाजिक बदलाव के माध्यम बन सकते हैं हमारे उत्सव -प्रो. बृजकिशोर कुठियाला अक्टूबर का महीना त्यौहारों व उल्लास का समय है। चारों तरफ आस्था- पूजा संबंधी आयोजन हो रहे हैं और पूरा समाज भक्तिभाव में डूबा हुआ है। न केवल मंदिरों में बाजारों और मोहल्लों में भी स्थान-स्थान पर नवरात्रों के उपलक्ष्य में दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती की आराधना से वातावरण चौबीसों घंटे गूंजता […] Read more » Programme उत्सव