कविता एहसास ‘आधुनिकता’ का February 20, 2013 / February 20, 2013 by ऋषभ कुमार सारण | 1 Comment on एहसास ‘आधुनिकता’ का ऋषभ कुमार सारण थके हारे काम से आकर, एक कोरे कागज को तख्ती पे लगाया, मन किया कागज की सफेदी को अपने ख्वाबों से रंगने को, उंगिलया मन की सुन के चुपचाप लिखने लगी, और लेखनी भी कदम से कदम लाने लगी, पर दिमाग “डिक्शनरी” में लफ़्ज ढूंढ़ रहा था ! और मेरा “जिया” […] Read more » एहसास ‘आधुनिकता’ का