चिंतन कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि यही सँवारता है व्यक्तित्व May 31, 2012 / May 31, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हर आदमी के लिए विधाता ने मनुष्यता का आवरण देकर अपने कर्त्तव्य कर्म को पूर्ण करने के लिए धरा पर भेजा हुआ है। यह कर्म उसके स्वयं के लिए, घर-परिवार के लिए और समाज के लिए निहित हैं और इन्हीं की पूर्णता से उसके समग्र व्यक्तित्व का विकास होता है। इस कर्त्तव्य […] Read more » कर्त्तव्य कर्म हो सर्वोपरि सँवारता है व्यक्तित्व