कविता कविता – उसे चुनना है November 24, 2012 / November 24, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मैं अंतरिक्ष में भटक रहा हूँ पिंजरे में कैद मात्र शून्य की तरह लचीली रेखा भी मेरे साथ घुम रही है मैं आश्वस्त हूँ सभी बंद रास्तों के बावजूद महाशून्य मेरी आंखों में नहीं उतरा है । मेरे समझ से मैं उस काल में अस्त हो रहा हूँ जहाँ दिशाएं निर्वाण की तरह लटकने […] Read more » poem by motilal कविता - उसे चुनना है