कविता कविता : नया खेल October 2, 2013 / October 2, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा तिकड़म सब हो गए फेल नेताजी पहुँच ही गए जेल बनने लगे हैं नए समीकरण बाहर शुरू हो गया है नया खेल खूब खाया था, खिलाया था पीया था, खूब पिलाया था राजनीति को ढाल बनाया था परिवार को आगे बढ़ाया था जिनका खूब साथ दिया उन्होंने ही दगा किया […] Read more » कविता : नया खेल