बच्चों का पन्ना गलफ़ुल्ले March 23, 2015 / March 23, 2015 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment खेल कूद कर जब घर आये गलफ़ुल्ले, अम्मा बापू पर चिल्लाये गलफ़ुल्ले | अम्मा ने तो केवल इतना बोला था, दस दिन से क्यों नहीं नहाये गलफ़ुल्ले | बापू भी तो पूछ रहे थे बस इतना घर क्यों बहुत देर से आये गलफ़ुल्ले | दादाजी ने जब गुस्से से डांटा तो, बोल नहीं कुछ भी […] Read more » कविता-प्रभुदयाल श्रीवास्तव गलफ़ुल्ले प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कविता कविता-हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली-प्रभुदयाल श्रीवास्तव April 13, 2012 / April 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 6 Comments on कविता-हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली-प्रभुदयाल श्रीवास्तव हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली वह शेर हम बकरी बने जीते रहे मिल बैठकर तालाब को पीते रहे| वह बाल्टियों पर बाल्टियां लेते रहे हम चुल्लुओं को ही फकत सींते रहे| पाबंदियों के गगन में हमको उड़ा मन मुताबिक डोर वे खींचे रहे| शोर था कि कान कौआ ले गया […] Read more » poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविता-प्रभुदयाल श्रीवास्तव