कविता कविता:अन्यथा शब्दोँ के लिए चिँता-मोतीलाल May 25, 2012 / May 25, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment जहाँ कहीँ भी होगा उठती अंतस से हूक अवसाद के चक्रवात मेँ रेखांकित नहीँ उसका वजूद गौर से यदि देखेँ मुखर होने की उनकी उपस्थिति है निश्चित ही हमसे करीब सभी समकालीन परिदृश्य चिँतन की किसी पद्धति मेँ अफसोसजनक नहीँ कि चीजेँ नहीँ वैसी जिन बुनियादोँ पर काटे जा रहे हैँ वनोँ को […] Read more » poem by motilal कविता-मोतीलाल कविता:अन्यथा शब्दोँ के लिए चिँता-मोतीलाल