कविता कविता – लड़ाई July 31, 2012 / July 30, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल अधिक समय तक हम जिँदा रहने की जिजीविषा मेँ नहीँ देख पाते मुट्ठियोँ मेँ उगे पसीने को और यहीँ से फुटना शुरू होतेँ हैँ तमाम टकराहटोँ के काँटेँ यहीँ से शुरू होता है धरती और आकाश का अंतर चाहे आकाश कितना भी फैला हो और हो उसमेँ ताकत धरती को ढंक लेने की […] Read more » poem by motilal कविता - लड़ाई