कविता कविता – संकट September 4, 2012 / September 4, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल आसान तो बिल्कुल नहीं शब्दों का धुँआ बनना अकेला मन का किला आँखों को नम कर जाता है टूट चुकी होती है जब सुबह हमारे सपने एक-एककर नहीं लाते बाल उम्र में बिताया गया वक्त जो फुदक रही होती है डालियों पर उसे लिखना कितना कठिन हो जाता है बार-बार निरर्थक कोशिश […] Read more » poem by motilal कविता - संकट