कविता कविता – सुकून शेष नहीं May 17, 2013 / May 17, 2013 by मोतीलाल | Leave a Comment जब सो गयी है मेरे आंगन की तुलसी खूंटे में बंधी गाय सुनाई नहीं देती मुझे चिड़ियों की चहचहाट । इतनी रात गये कई शोर उठते हैं तब दिखते हैं धू-धू जलती झोपड़ियाँ जबकि सामने पक्का मकान हंस रहे होते हैं और कान के परदे फटने लगते हैं बम बिस्फोटों के स्वरों से । तब […] Read more » कविता - सुकून शेष नहीं