कविता साहित्य कह रही है ‘अजन्मी’ November 7, 2015 by लक्ष्मी जायसवाल | Leave a Comment कह रही है ‘अजन्मी’ मां मैं भी इस दुनिया में आना चाहती हूँ नन्हे नन्हे पैरो से मैं भी गिरकर ठोकर खाना चाहती हूँ गिरते गिरते उठकर सम्भलना चाहती हूँ तेरी उंगली पकड़कर चलना चाहती हूं तोतली जबान में कभी तो कभी लाड में माँ मैं भी तुझे माँ कहना चाहती हूँ। क्यों नहीं कर […] Read more » कह रही है 'अजन्मी'