व्यंग्य कुएं नेकी का डस्टबिन January 6, 2012 / January 6, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on कुएं नेकी का डस्टबिन पंडित सुरेश नीरव गर्मी चेहरे पर पसीने का स्प्रे कर रही थी। मैं लाल कुएं से चलकर धौला कुंआ तक भटकता-भटकाता पहुंच चुका था मगर मजाल है कि बीस किलोमीटर के इस कंकरीट कानन में कहीं भी एक अदद कुएं की झलक भी देखने को मिली हो। कई दिनों बाद मैंने एक नेकी की थी […] Read more » satire by pandit Suresh Neerav कुएं नेकी का डस्टबिन