लेख
कुदरत का संदेश
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
कुदरत का रूठना भी ज़रूरी था,इंसान का घमंड टूटना भी ज़रूरी था।हर कोई खुद को खुदा समझ बैठा,उस वहम का छूटना भी ज़रूरी था। पेड़ कटे, नदियाँ रोईं, पर्वत भी कांपे,धरती माँ की कराहें कौन था आँके।लोभ में अंधा हुआ इंसान इतना,उसको आईना दिखाना भी ज़रूरी था। आंधियाँ, तूफ़ान, बारिश का प्रहार,दे गए चेतावनी – […]
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