कविता साहित्य कैसा यह चलन June 11, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment कैसा है यह चलन हर तरफ जलन ही जलन पद से बढ़ा रहें हैं लोग अपना अपना कद हो रही है खूब आमद और खूब खुशामद रहते हैं पूरा लक – दक पद का ऐसा है मद नहीं मानते आजकल कोई भी हद भले ही बीच में क्यों न पिट जाए भद ज्ञानी जन कहते […] Read more » कैसा यह चलन