कविता
कैसा ये बन गया समाज
by रवि श्रीवास्तव
-रवि श्रीवास्तव- कैसा ये बन गया समाज, क्या है इसकी परिभाषा, हर तरफ बढ़ गया अपराध, बन रहा खून का प्यासा। मर्डर चोरी बलात्कार, बन गया है इसका खेल, जो नही खाता है देखो, इक सभ्य समाज से मेल। बदलती लोगों की मानसिकता, टूट रही घर घर की एकता, जिधर भी देखो घूम रही है, […]
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