कविता कैसी पीड़ा February 5, 2014 by मोतीलाल | Leave a Comment उनके खुलने से जो पर्दा सरका था उनकी आंखों से सबसे पहले घुप्प अंधेरा डोल रहा था आंखों में और यहीं समझी थी जीवन का पाठ । इस बीच खुलते गये सांसों की डोर और उसने देखा अपने मम्मी-पापा को विडियो गेम्स के संग देखा उसने कमरे की आधुनिकता अलग-अलग खंबों मे बंटा कमरे सा […] Read more » poem कैसी पीड़ा