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Tag: खतरे में है लोकतंत्र का संतुलन

राजनीति

जब न्याय बिकने लगे और सेवक राजा बनने लगें — खतरे में है लोकतंत्र का संतुलन

May 6, 2025 / May 6, 2025 by अशोक कुमार झा | Leave a Comment

अशोक कुमार झा भारतीय लोकतंत्र का ढांचा तीन मज़बूत स्तंभों—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका—पर खड़ा है। ये तीनों मिलकर देश को चलाते हैं, संविधान की आत्मा को ज़िंदा रखते हैं और आम नागरिक को न्याय, सुरक्षा व समृद्धि का भरोसा दिलाते हैं लेकिन आज यही स्तंभ एक-दूसरे से टकरा रहे हैं, खींचतान   के हालात पैदा कर रहे हैं और इस […]

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खतरे में है लोकतंत्र का संतुलन
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