कविता
खत्म हुई अठखेलियाँ
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
●●●दुनिया मतलब की हुई, रहा नहीं संकोच।हो कैसे बस फायदा, यही लगी है सोच॥●●●औरों की जब बात हो, करते लाख बवाल।बीती अपने आप पर, भूले सभी सवाल॥●●●मतलब हो तो प्यार से, पूछ रहे वह हाल।लेकिन बातें काम की, झट से जाते टाल॥●●●लगी धर्म के नाम पर, बेमतलब की आग।इक दूजे को डस रहे, अब जहरीले […]
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