कविता महिला-जगत खूँटी पर टंगी ज़िन्दगी December 19, 2014 / December 19, 2014 by रामानुज मिश्र | Leave a Comment टांग दी जाती हैं ज़िन्दगियाँ खूटियों पर जो गड़ी हैं भीतर तक भीत पर। मुँह अंधेरे ही निकाल ली जाती हैं इनके भीतर की मशीनें और लगा दी जाती हैं बर्तन मांजने, झाड़ू पोछा घर आँगन, सहन लीपने-पोतने में। मशीनें न आवाज करती हैं न हँसती हैं न ही मुस्कराती हैं चलता रहता है […] Read more » खूँटी पर ज़िन्दगी