कविता खोए हुए थे इस कद्र चुनावी ख्याल में April 12, 2014 by जावेद उस्मानी | 1 Comment on खोए हुए थे इस कद्र चुनावी ख्याल में -जावेद उस्मानी- खोए हुए थे इस कद्र चुनावी ख्याल में पता चला ही नहीं क्या कह गये उबाल में क्या मालूम न था अंजाम बहकने का इस तरह फंस गये हैं सैय्याद अबके अपने ही जाल में किस हद तक और जायेंगे अभी कुछ पता नहीं अभी तो पूरब से निकले सूरज को डुबोते हैं […] Read more » poem on election खोए हुए थे इस कद्र चुनावी ख्याल में