गजल गजल:जो दिल में रहते हैं July 5, 2012 / July 5, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment जो दिल में रहते हैं ,पास क्या वो दूर क्या चाँद के रु-ब-रु कोई ,लगता है हूर क्या। कितनी बार की हैं बातें, मैंने भी चाँद से छलका है मेरे चेहरे भी ,कभी नूर क्या। इस मुहाने पर हैं ,कभी उस मुहाने पर छाया रहता है दिल पर जाने सरूर क्या। बस एक हवा के […] Read more » गजल:जो दिल में रहते हैं गजल:जो दिल में रहते हैं-सतेन्द्र गुप्ता