गजल गज़ल: तुम से मिलकर–सतेन्द्रगुप्ता June 20, 2012 / June 20, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment तुम से मिलकर, तुम को छूना अच्छा लगता है दिल पर यह एहसान करना, अच्छा लगता है। लबों की लाली से या नैनों की मस्ती से कभी चंद बूंदे मुहब्बत की चखना ,अच्छा लगता है। लाख छिप कर के रहे, लुभावने चेहरे , पर्दों में कातिल को कातिल ही कहना अच्छा लगता है। देखे हैं […] Read more » gazal by satendra gupta गज़ल: तुम से मिलकर –सतेन्द्रगुप्ता