व्यंग्य चमचे ही चमचे, यहाँ-वहां जहाँ-तहाँ December 17, 2014 by दीपक शर्मा 'आज़ाद' | Leave a Comment मेरे घर के रसोईघर में बर्तनों की भरमार है, होती है सबके घर में होती है| थाली, कटोरी, गिलास, चम्मच और अंत में कप ये न होतो खाना खाने की कल्पना अधूरी सी ही लगती है क्यों सही कहा न| पर इन सबमे भी देखें तो चम्मच सर्वश्रेष्ठ है, वो हर घर में अन्य बर्तनों […] Read more » चमचे ही चमचे