कविता कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा July 26, 2012 / July 26, 2012 by बलबीर राणा | Leave a Comment किधर जाऊं चोराहे पर खड़ा हूँ सुगम मार्ग कोई सूझता नहीं सरल राह कोई दिखता नहीं कौन है हमसफ़र आवाज कोई देता नहीं किधर जाऊं चोराहे पर खड़ा हूँ इस पार और भीड़ भडाका उस पार सूनापन एक और शमशान डरावन एक और गर्त में जाने का दर डर लगता किधर जाऊं चोराहे पर […] Read more » :चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा poem by balbir rana कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ कविता:चोराहे पर खड़ा हूँ-बलबीर राणा