समाज छोटी-छोटी बातें October 1, 2016 by मनोज कुमार | 1 Comment on छोटी-छोटी बातें सच ही तो है कि हम किताब के पन्ने एक साथ नहीं पढ़ सकते. एक वाक्य पूरा पढऩे के बाद दूसरा वाक्य और इस तरह आगे बढ़ते हुए हम पूरी किताब पढ़ लेते हैं. जिंदगी किसी किताब से क्या कम है? इसे भी तो एक एक वाक्य की तरह ही पढऩा होगा. जीने के लिए बड़े सपने देखना बुरा नहीं है लेकिन सपने को सच करने के लिए बेबी स्टेप लेना होगा Read more » छोटी-छोटी बातें