व्यंग्य जनतंत्र में तंत्रमंत्र February 6, 2013 by सचिन कुमार जैन | Leave a Comment सचिन कुमार जैन हाँ, शासन व्यवस्था धराशायी हो चुकी है. “राज्य” संविधान के मुताबिक़ लोगों के संरक्षण देने में नाकाम है. अब विकल्पों की बात होना चाहिए. किसी ने कहा है “विकल्पहीन नहीं है दुनिया और नई दुनिया संभव है”. एक किस्सा सुनाया जाता है. एक विदेशी भारत आया. पर्यटन करने के साथ ही यहाँ […] Read more » जनतंत्र में तंत्रमंत्र