व्यंग्य व्यंग्य-जनता बदलाव चाहती है February 13, 2012 / February 13, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव अब अपने भारत के दिन फिर बहुरेंगे। पहले सुनहरे कल में बेचारा घुसते-घुसते रह गया था। फिर शाइनिंग इंडिया होते-होते भी बाल-बाल बच गया। मगर अबकी बार कोई चूक नहीं हो सकती है। क्योंकि मंहगाई और घोटालों के साथ-साथ मतदान का ग्राफ भी लप-लपाता हुआ आगे बढ़ा है। मतदाताओं के सर मुंडाते […] Read more » satire by pandit Suresh Neerav जनता बदलाव चाहती है