विविधा व्यंग्य जाम-स्तुति August 2, 2013 / August 2, 2013 by डा.राज सक्सेना | Leave a Comment डा.राज सक्सेना वह सुरा – पात्र दो दयानिधे,जब मूड बने तब भर जाए | है आठ लार्ज, कोटा अपना,बिन – मांगे पूरा कर जाए | प्रातः उठते ही हैम – चिकन, फ्राइड फिश से हो ब्रेकफास्ट | हो मट्न लंच में हे स्वामी, मैं बटरचिकन से करूं लास्ट | मिलजाय डिनर बिरयानी का,संग […] Read more » जाम-स्तुति