कविता जिसकी है नमकीन जिन्दगी September 7, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment जिसकी है नमकीन जिन्दगी **************************** जो दिखती रंगीन जिन्दगी वो सच में है दीन जिन्दगी बचपन, यौवन और बुढ़ापा होती सबकी तीन जिन्दगी यौवन मीठा बोल सके तो नहीं बुढ़ापा हीन जिन्दगी जीते जो उलझन से लड़ के उसकी है तल्लीन जिन्दगी वही छिड़कते नमक जले पर जिसकी है नमकीन जिन्दगी […] Read more » जिसकी है नमकीन जिन्दगी