गजल जीवन मर्म February 11, 2014 / February 11, 2014 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment पाषाण हृदय बनकर कुछ भी नहीं पाओगे । वक्त के पीछे तुम बस रोओगे पछताओगे ।। ये आस तभी तक है जब तक सांसें हैं। सांस के जाने पर क्या कर पाओगे ।। इन मन की लहरों को मन में न दबाना तुम । ग़र मन में उठा तूफां कैसे बच पाओगे ।। भार नहीं […] Read more » ghazal जीवन मर्म