कविता तुम्हारा साथ April 6, 2021 / April 6, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मिला है जब से साथ तुम्हारा,मन के तार झंकृत होने लगे है।जो शब्द थे अंदर दिल में मेरे,वो अब सब बाहर आने लगे हैं।। सातों स्वर अब गूंजने लगे हैं,वीणा के तार बजने लगे हैं।छोड़ दो अब कोई सुरीली तान,जो मन के झरने बहने लगे।। मायूस थी बहुत दिनों से मै,सभी वाद्य यन्त्र जंग खाएं […] Read more » tumhara saath तुम्हारा साथ