कविता तुम कब रोए August 25, 2025 / August 25, 2025 by डॉ राजपाल शर्मा 'राज' | Leave a Comment पहला पर्ण जो निकला तन सेजीर्ण-शीर्ण हो गया समय सेकिसी पवन के झोंके ने तबअलग कर दिया तेरे तन सेउस विलगित पर्ण के जाने कादर्द क्या मन में कुछ नहीं होतापर देखा तो नहीं किसी नेकभी भी तुम को आँख भिगोएपेड़! तुम कब रोए? शाख पर जन्मीं नन्हीं चिड़िया जब उसी शाख पर, किसी झंझा मेंमर […] Read more » तुम कब रोए