कविता दक्षिणा रहस्य August 25, 2025 / August 25, 2025 by डॉ राजपाल शर्मा 'राज' | Leave a Comment अम्बर रक्तिम वर्ण हो चला रथ रवि का अस्ताचल कोलौट रहा हलधर का टोला, पुष्ट स्कंध पर धरि हल कोगोखुर से उड़ती रज रम्या, खग-मृग सब चले नीड़ कोगुरु माता बैठी आंगन में, अभ्यन्तर लिए पीड़ को तभी द्रोण आये कुटिया में दिखी निस्तब्धता छाईगुरु माता इतनी तन्मय थी, आहट तक ना सुन पाईनिज नारी […] Read more » दक्षिणा रहस्य