कविता दिवाली की दौलत November 5, 2018 / November 5, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on दिवाली की दौलत तारकेश कुमार ओझा ———— चंद फुलझड़ियां , कुछ अनार जान पड़ते दौलत अपार … क्या जलाए , क्या बचाएं धुन यही दिवाली यादगार बनाएं दीपावली की खुशियां सब पर भारी लेकिन छठ, एकदशी के लिए पटाखे बचाना भी तो है जरूरी आई रोशनाई, छू मंतर हुई उदासी पूरी रात भागमभाग , लेकिन गायब उबासी जमीन […] Read more » क्या जलाए क्या बचाएं दिवाली की दौलत