कविता दूरियों की दूरी February 18, 2013 / February 18, 2013 by विजय निकोर | Leave a Comment विजय निकोर मंज़िल की ओर बढ़ने से सदैव दूरियों की दूरी … कम नहीं होती। बात जब कमज़ोर कुम्हलाय रिश्तों की हो तो किसी “एक” के पास आने से, नम्रता से, मित्रता का हाथ बढ़ाने से, या फिर भीतर ही भीतर चुप-चाप अश्रुओं से दामन भिगो लेने से रिश्ते भीग नहीं जाते, उनमें पड़ी […] Read more » दूरियों की दूरी